Bijli MahaDev - बिजली महादेव (खराहल वैली )
Bijli MahaDev - Kharahal, Kullu Valley. |
English:
Discover Bijli Mahadev: A Sacred Summit in Kullu Valley
Nestled amidst the serene hills of Kullu Valley lies Bijli Mahadev, a symbol of faith and natural splendor. This revered ancient temple sits at an impressive altitude of 2,460 meters, attracting both pilgrims and nature enthusiasts.
The Legend of Lightning and Faith
It is said that the Shiva Linga within the temple’s sanctum is periodically struck by lightning, breaking it into fragments. This phenomenon draws crowds eager to observe the priest perform the mystical rite of reassembling the Linga, an event that instills awe and reverence.
A Trek Through Nature’s Canvas
Journeying to Bijli Mahadev is an adventure through vibrant forests and meadows, culminating in a rewarding panorama of the Himalayas. The ascent promises a tranquil retreat, offering a moment to bond with the essence of nature.
More Than a Temple
Bijli Mahadev transcends its identity as a mere temple; it embodies the symbiotic relationship between spirituality and the environment. Whether you’re in search of divine grace, a peaceful natural escape, or a deep dive into Kullu’s cultural fabric, a pilgrimage to Bijli Mahadev promises a lasting impact.
Trek available: Bijli Mahadev to Naggar trek.
बिजली महादेव का अपना ही महत्व व इतिहास है। माना जाता है की बिजली महादेव का पहाड़ एक सांप यानी नाग का रूप है । जैसे ही भगवान् शिव ने उस सांप का वध किया वो सांप इस पहाड़ में तब्दील हो गया । मान्यता है की इस नगर में कुलंत नाम का राक्षस होता था । भोलेनाथ के इस शिव लिंग के अस्तित्व में आने से ही कुल्लू अस्तित्व में आया । ऐसी मान्यता है की इस नगर में कुलान्त नाम का राक्षस था जो की रूप बदलने में भी माहिर था और बहुत ही शक्तिशाली राक्षस था कुलान्त ने अजगर का रूप इसलिए धारण किया था की इस घाटी में रहने वाले लोग इस घाटी को छोड़ दें और उसका पूरी घाटी में अकेले का राज हो । और उसने व्यास नदी का पानी रोकने के लिए इसमें कुंडली मार के बैठ गया । इसके पीछे उसका उद्देश्य यह था कि यहां रहने वाले सभी जीव-जंतु पानी में डूब कर मर जाएं । यह देखकर भगवान् भोलेनाथ क्रोधित हुए और वो जानते थे की अगर क्रोध में उन्होंने अजगर को मार दिया तो अजगर के साथ यहाँ के लोग भी मर जायेंगे । इसलिए भगवान् भोलेनाथ अजगर के पास पहुंचे और उसके कान में कहा की उसकी पूंछ में आग लग गयी है और जैसे ही वो पीची मुड़ा तो भोलेनाथ ने कुलान्त पर त्रिशूल से वार कर दिया और कुलान्त यही पर मारा गया । कुलान्त के मरते ही उसका शरीर एक विशालकाय पहाड़ के रूप में तब्दील हो गया और उसका शरीर धरती के जितने क्षेत्र में फैला था वो पूरा का पूरा क्षेत्र पर्वत में परिवर्तित हो गया । और आज उसी पर्वत पर भगवान् शिव का ये मंदिर मौजूद है जिसे बिजली महादेव के नाम से जाना जाता है । यह भी मान्यता है की भोलेनाथ लोगों को बचाने के लिए इस बिजली को अपने ऊपर गिरवाते हैं। इसी वजह से भगवान शिव को यहां बिजली महादेव कहा जाता है। यह मंदिर खराहल घाटी की छोटी पर स्तिथ है और हर मौसम में दूर-दूर से लोग यहाँ बिजली महादेव के दर्शन करने आते हैं।
कुल्लू का पुराना नाम कुलान्त-पीट है ! जिसका अर्थ है संसार की सभ्यता का अंतिम पड़ाव !
The name, Kullu derives from the word "Kulant Peeth", meaning "End of the habitable world".
कुलान्त से ही कुलूत और इसके बाद कुलूत से घाटी का नाम कुल्लू पड़ा.
The last snowfall of this season happen in March.
Name | Bijli Mahadev |
Place | Sacred (Hindu Temple) |
Location | On the top of Khrahal Valley in Kullu |
Bus Timing | 8:00 AM from Bijli Mahadev and 7:00 PM from Kullu to Bijli Mahadev(Buses at 45 minutes of gap except for Sunday) |
Highlights | Lord Shiva Temple, Bhandara in Sawan Month. |
Summary | Bijli Mahadev Temple is located at an altitude of about 2,460M in the Kharahal Valley of district Kullu. A panoramic view of Kullu and Paravati valleys can be seen from here. |
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